#गुलमोहरडायरीज़
आँखों को सुकून देता है,
रूह को गद्गद करता है,
ग्रीष्म ऋतु के आने पर,
जिसके फूलों के आने का आभास हो, (2)
नज़रों को उसकी तलाश हो,
फूल वो आते हैं (2)
उतनी ही जल्दी वर्षा ऋतु के आते ही बिछड़ जाते हैं,
मानो ये बताते हैं,(2)
ऐसा जताते हैं,(2)
जीवन तो है समय का खेल,(2)
कुछ पलों का है ये मेल,(2)
तो खिलने से… पूरी तरह खिलने से,
कैसा घबराना?(2)
चार पलों का मुस्कराना, चार पलों की खिलखिलाहटें बाँटना,
यही तो है यहाँ इस वक़्त को बिताना।
ॐ साई राम
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